बातें मरहम सी, लफ्ज़ सरगम सा लिख दें कुछ जादू सा, तन्हाई में मेहरम सा
Ishtiyaque Mehroon
इश्तियाक़ मेहरून
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Ishtiyaque Mehroon
इश्तियाक़ मेहरून
किसी अज़ीम शायर ने कहा है की मुश्क़िल ज़बान में लिखना आसान है, पर आसान ज़बान में लिखना मुश्क़िल
आसान लफ़्ज़ों में गहरे जज़्बात दिखाना, या कारीगरी से लफ़्ज़ों को चमकाना, आपका अपना शायर हाज़िर है
आइये, आप और हम, एक ही मेहफ़िल एक शाम रहें,
हम तशरीफ़ लायें, आप इरशाद कहें,
आप इश्क़ कहें, हम नौशाद कहें
कुछ पिघलते चलें,
कुछ अकड़ते चलें,
कभी लफ़्ज़ों से खेलें,
कभी धुन पकड़ते चलें
लड़कपन ज़रा सा, या उम्र का तक़ाज़ा
इज़हार की सूरत, या तक़रीर का इरादा
लफ़्ज़ उकेरें, तिरछी चाहे सीधी लकीरें
आज़मा लीजिये, मुक़म्मल होगा हर वादा
हर तर्ज़ पर लिखे दीवान,
जिन्हे एक मुक़म्मल क़िताब की शक़्ल में
पब्लिश किया जा सके.
हाल ही मैं Bookleaf Publishing ने दीवान-ए-इश्क़ जारी की है जो Amazon, Flipkart, Bookleaf Publishing Store पर मौजूद है
मिलिये इश्तियाक़ मेहरून उर्फ 'इश्क़' से. तालीम से इंजीनियर, काम से एच आर, तबियत से शायर और तक़ल्लुफ़ से 'इश्क़'.
आई आई टी कैंपस से कॉर्पोरेट गलियारों तक, लंबा सफर तय करके आये हैं, और आपके लिए शायरी का गुलदस्ता लाये हैं
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